Tuesday, December 12, 2017

खिड़कियाँ (Khidkiyaan)



 
फ़र्ज़ करो कि
तुम्हारा दिलो-दिमाग़ एक घर है
हटा दिए जिसमें से
खिड़की दरवाज़ें रौशनदान सभी
अब यहाँ उल्लू उड़ते हैं
चमगादड़ मँडराते हैं 
मकड़ियों ने बुने हैं जाले 
मच्छरों ने अंडे दिए हैं
कोनों में लगी है फफूंद 
पनपने लगी हैं बीमारियाँ
उमस की बदबू फैली है
कीचड़ की छींटे उठती हैं
जब भटकते हो
पटकते हुए माथा दीवारों पर
काँपते हाथ बने हैं हथियार 
सन्नाटे को तोड़ती हैं सिर्फ गालियाँ
कुछ नहीं सूझता 
कुछ नहीं देता दिखाई
हो गई है बिनाई
अँधेरे की गिरफ़्त में  
शम्अ जलाओ तो धुँआ भर जाएगा
यह दिलो-दिमाग़ एक मक़बरा है
जिसमें तुमने खुद को 
ज़िंदा चिनवा दिया है

जल्दी करो 
मारो हथौड़ा दीवार पर 
और एक रौशनदान बनाओ  
जहाँ से आती हुई धूप
गरमाइश दे सके जमे हुए फ़र्श को
रौशनी फ़र्क़ कर सके
शरबत और ज़हर में
काले और सफ़ेद में आँखों को 
ग़लतफहमी ना हो
एक खिड़की लगाओ जिसकी सिल पर
कोई चिड़िया बैठकर गीत गाए
जिसके छज्जे पर टपकती हुई
बारिश की बूँदें कोई संगीत सुनाए
एक दरवाज़ा लगाओ जहाँ से
तुम घूमने के लिए बाहर निकलो
कभी कोई कवि अंदर सके
इस आने जाने में
पुराना कबाड़ निकाला जाए बाहर  
नया सामान सजाया जा सके
गमलों में उग सकें नए पौधे
बसंती हवा कोने कोने को महका जाए
यह दिलो-दिमाग एक महल है
जिसमें तुमने खुद को
सिंहासन पर बिठाया है

अंधी दीवारों वाले मक़बरे में रहोगे
या रहोगे हवादार रौशन महल में
यह फैसला तुम्हारा है

3 comments:

  1. Khidkiyaan provide outside air in home. But you are relate this blog of human life. It is amazing concept . Yes you are right every human heart and mind is home. I work in Towing Des Moines company. Keep posting.

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  2. बहुत खूबसूरत। वाकई दिलो-दिमाग एक घर ही तो है जिसमें हम उम्मीदें, सपने,नामक चीजें रखते हैं ये हमारा अपना घर है इसको हमें उन चीजों से सजा देना चाहिए जो हम अपनी जिंदगी में चाहते हैं।

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    1. शुक्रिया राकेश जी। आपको यहाँ देखकर अच्छा लगा।

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