जिन्हें ज़मीन पर बैठने को
मजबूर किया गया
उन दलितों के लिए
मैंने एक मेज़ बनाई है
वे जो खाना परोसती रहीं,
किचन से डाइनिंग टेबल के
काटती रही चक्कर,
और आखिर में अकेले खाया
किसी कोने में बैठकर,
उन औरतों के लिए
मैंने एक मेज़ बनाई है
होते रहे हैं समझौते
मेज़ के नीचे से
नेता और सेठ लोगों के बीच
जंगल कटे, पहाड़ कटे,
लूटे गए कोयला और खनिज
आम लोगों को मिला भाषण,
मुफ्त राशन और सर्कस
अब उनके अधिकारों की
बात करने के लिए
मैंने एक मेज़ बनाई है
ऐसा होता है, वैसा नहीं होता
इस शोर में दब गए
जो अलग विचार, नई सोच
उन पर चर्चा करने को
मैंने एक मेज़ बनाई है
waah lajawab 👏👏❤️ Vijeta bhaiya love you ❤️
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