Wednesday, January 27, 2016

केंद्र बिंदु (Kendra bindu)

मुझे नींद की गोलियां खिलाई गयी थी
या बेहोशी का इंजेक्शन लगाया गया था
किसी इंद्रजाल में फंसकर ठगा गया मैं
या मुझे सम्मोहित किया गया था
मैं नहीं जानता
पर अभी अभी, बस इसी वक़्त
आँखों के आगे से एक कोहरा छंटा है
एक भ्रम का बादल जैसे ही दिमाग से हटा है
मैं अवाक रह गया हूँ

मुझे जाने कब से लगता रहा है
कि मैं, एक आम आदमी, केंद्र हूँ
इस वृत रुपी समाज का
बाज़ार में जाऊँ तो 
ग्राहक के रूप में भगवान तुल्य हूँ
प्रजातंत्र में वोटर बनकर राजा हूँ
cinema के बॉक्स ऑफिस का महाराजा हूँ

लेकिन अभी अभी आभास हुआ
कि यह वृत दीवार पर टाँग दिया गया है
एक डार्टबोर्ड बनाकर
और मैं केंद्र होने के नाते
हर किसी के कारतूस का निशाना हूँ
काले कोट वाले, सफ़ेद कुर्ते वाले
खाकी निक्कर वाले, सफ़ेद टोपियों वाले
तिलक वाले, दाढ़ी वाले, पगड़ी वाले,
काली सुरंगों में बैठे बंदूकों वाले
रूपहले पर्दों वाले   
दागते हैं मुझ पर निरंतर गोलियां रात दिन
हर कहीं हर वक़्त
दफ्तर जाते हुए, दफ्तर से आते हुए
अखबार पढ़ते हुए, टीवी देखते हुए
youtube पर video देखने से पहले
और फेसबुक पर timepass करते हुए
विज्ञापन फेंके जाते हैं मुझ पे
टीवी के प्लाज्मा स्क्रीन में से
इंटरनेट के पन्नो के ऊपर से नीचे से
hoardings चौराहे पर लगे विकराल से
फिल्मों के बीच अंतराल से
अखबार की ख़बरों से
और ख़बरों के बीच इश्तिहारों से
मेट्रो ट्रैन में लगाए billboards से
क्रिकेटरों की जर्सियों के ऊपर से

मुझे पचहत्तर बार बताया जाता है
आँख खोल कर दिखाया जाता है
कानों में मेरे चिल्लाया जाता है
कि मुझे क्या देखना है, क्या सुनना है 
क्या खाना है, क्या पीना है
क्या पहनना है, कैसे जीना है 
बार बार समझाया जाता है
कि मुझे यह सब अच्छा लगता है
फिर दिमाग में यह भी बिठाया जाता है
कि यह सब मुझे क्यों अच्छा लगता है 

कौनसा टूथपेस्ट dentists की नज़र में अच्छा है
कौनसा धर्म सबसे पुराना और सच्चा है
कौनसी कोल्ड-ड्रिंक में pesticides नहीं हैं
क्या है जो देश को दीमक की तरह खा रहा है
कौनसी क्रीम आपको गोरा बनाकर आत्मविश्वास बढाती है 
कौनसा लैंगिक रुझान एक हास्यास्पद बीमारी है 
कौनसा शैम्पू डैंड्रफ का जड़ से खात्मा करता है
कौनसी राजतीनिक विचारधारा देश के लिए जरूरी है
कौनसा साबुन 99 प्रतिशत कीटाणु मारता है
कौनसा क्रूर कानून देश की हिफाज़त के लिए हमारी मजबूरी है


सिनेमा हॉल पर केवल
एक-दो बड़ी फिल्मों के 20 शो लगाकर
मुझे यह चुनने की आज़ादी मिलती है
कि मैं किस वक़्त का शो देखता हूँ
IIFA, Filmfare, star screen अवार्ड्स में
इन फिल्मों को सम्मानित भी किया जाता है
ब्लॉग पर, अखबार में, reviews में कहा जाता है
कि यह फिल्म क्यों अच्छी थी
वहीँ इंडिपेंडेंट फिल्मों को रिलीज़ ही नहीं होने दिया जाता है 

सभी FM चैनल पर एक ही गाना सुना कर
मुझे आज़ादी मिलती है
कि मैं वह गाना कौनसे FM चैनल पर सुनूँ 
मुझे दिन भर सुनाकर
वह गाना मेरे होंठो पर चढ़ाया जाता है
जाने-अनजाने मुझसे गुनगुनाया जाता है
मैं मानता हूँ कि
मैं अपने mood के हिसाब से गाने सुनता हूँ
लेकिन यह नहीं जानता हूँ कि
मेरा mood आजकल हर वक़्त एक जैसा रहता है

अभी मेरी याददाश्त सही नहीं है
बचपन के अलावा मुझे कुछ याद नहीं
अब मुझे जल्दी ही फिर से सब पढ़ाया जाएगा
मैं हिंदुस्तानी हूँ, तो पाकिस्तान बुरा है
पाकिस्तानी हूँ, तो हिंदुस्तान बुरा है
कश्मीर में हूँ, तो दिल्ली बुरी है
दिल्ली में हूँ, तो कश्मीरी बुरा है
और नक्सली आतंकवादी हैं

अगर मैं हिन्दू हूँ, तो कहेंगे
कि मुसलमान मलेच्छ हैं, कट्टर हैं
किसी अबस के कखग दोस्त ने
फलां-फलां गलियों में
सीटियाँ बजने की आवाज़ सुनी थी
पाकिस्तान के मैच जीतने पर
ना मैं अबस को जानता हूँ, ना कखग को
मुझे जो बताया गया, मुझे मान लेना है 
अगर मैं मुस्लिम हूँ,
तो मुझे क़ुरान की आयतों का झूठा हवाला दे कर
जेहाद के लिए ललकारा जाएगा 
बताया जाएगा कि सब हिन्दू क़ाफ़िर हैं
मैं सिख हूँ तो वे
नानक कबीर बुल्ले शाह की बाणी के खजाने को 
बंद करेंगे प्रिंटिंग प्रेस से छपी एक किताब में
गुरुद्वारे में रख कर पंखा झलेंगे उस पर
मुझे उस किताब को पढ़ने के लिए नहीं कहेंगे
कहेंगे मुझे उसके आगे सर झुकाने के लिए
बस मुझे समय समय पर बता दिया जाएगा कि
मुझे हमारे धर्म के बारे में कही हुई
किस बात पर आक्रोशित होना है 
नारे लगाने हैं, तोड़-फोड़ मचानी है  

मैं जाट हूँ तो मुझे जाटों के लिए आरक्षण सही लगेगा
मैं दलित हूँ तो मुझे दलितों की व्यथा दिखेगी 
मैं आदमी हूँ तो जान खाने वाली बीवी पर लतीफे होंगे
औरत हूँ तो मुझे पति की गैर जिम्मेदारी दिखेगी 

उनकी प्रयोगशाला में मेरे लिए
लम्बे लम्बे झूठ और अफवाहों भरे
ई-मेल लिखे जाते हैं
मैसेज बनाए जाते हैं, चुटकले गढ़े जाते हैं
और चुपचाप मुझे भेजा जाता है यह सब
SMS पर, whatsapp पर
yahoo और gmail पर

मैं फिल्मों को काल्पनिक कह कर नकार दूँ
पर खबरों की स्पेशल रिपोर्ट को कैसे अनसुना कर पाऊँगा
मैं जल्द ही बोर हो जाने की वजह से ई-मेल ना पढ़ पाऊँ शायद
पर गुदगुदाने, बहलाने-फुसलाने वाले चुटकले से
कैसे बहकने से बच जाऊँगा
मैं ख़बरों के बीच छपे इश्तिहार को अनदेखा कर दूँ
पर रंगी हुई ख़बरों में रंग जाने से कैसे बच पाऊँगा
मैं google ad को बंद कर दूँ एक क्लिक से
पर फीचर वीडियो से कैसे आँख चुराऊँगा

हर कोई मुझे अपने खेमे में चाहता है
हर कोई अपने group में मुझे शामिल किये जाता है
हर किसी के निशाने पर हूँ मैं
इतनी सभा, मंडली, संस्था, संघ, दल, समुदाय में 
इकट्ठा होने से 
मैं पूरी तरह बिखर गया हूँ 

पहले बचने का,
इस वृत की क़ैद से निकलने का
एक तरीका था मेरे पास
उस वक़्त मैं मंच पर कड़कता था
समुद्री लहरों पर थिरकता था
बादलों में उड़ता था, झरनों में नहाता था
गलियों में उमड़ता था मेरा यौवन
गलियारों में गूंजती थी मेरी आवाज़
जब मेरे पास किताबें थी
मैं पढ़ सकता था कहाँनियाँ, कविताएँ, जीवनी
अखबार, पत्रिकाएं
मैं सोच सकता था, महसूस कर सकता था
अपनी बेचैनी और दूसरों का दर्द, 
मैं सच झूठ का जायज़ा कर लेता था

मैं पथेर पंचाली देख कर करुणा से छलकने लगता
तो कभी देख कर "किस्सा कुर्सी का"
उस लौह औरत को थर्राते देख मुस्कुराता था
मैं फ्रॉस्ट की 'अनजानी सड़क' की कविता पढ़कर
नयी राहों पर निकल जाने का साहस जुटाता था
कभी फैज़ के उकसाए जाने पर 'बोल' पड़ता
कभी ग़ालिब के क़लाम में खुद को डूबा हुआ पाता था 
पर अब उन्होंने कविताएँ छापनी बंद कर दी हैं
पुस्तकालय बंद हो गए हैं
लेखक best-selling के चक्कर में गुम हो गए हैं
उन पुरानी महान किताबों को
रद्दी में बेच कर मैंने आइसक्रीम खा ली है
वे किताबें फाड़ी गई, recycle हो कर उन पन्नो पर छपी
मस्तराम की मस्त कहानियाँ  
और मेरे हाथ में पकड़ा दी गयी
साथ ही फ़ोन पर मुझे अश्लील चित्र भेजे जाते हैं
हाथों में कैंडी क्रश थमा दिया गया है

अब वे इतिहास की किताबों में भी
whitener लगा कर कुछ फेरबदल कर देते हैं
सरकार बदलने के साथ ही किताबों के पन्ने फटते हैं
कुछ नए अध्याय जुड़ते हैं 
जो कुछ मैंने रटा था, मैं सब भूल गया हूँ
क्या बैक्टीरिया virus था, lead धातु है या अधातु 
आर्यन कौन थे, कहाँ से आए थे
मंदिर मुग़लों ने तोड़े या मराठों ने  
कभी कभी तो इस बात में उलझा रहता हूँ
कि मणिपुर तिब्बत का हिस्सा है या भारत का
और कभी इस बात में कि
leftist होने से लोगों को क्या तकलीफ है
बाएँ हाथ से काम करो या दाएँ से
इस से फ़र्क़ क्या पड़ता है
GDP का अर्थ क्या होता है
growth और development में क्या फ़र्क़ है
मैं इम्तिहान में लिख आया था
पर अब बिलकुल भूल गया हूँ
समाजवाद और साम्यवाद में फर्क क्या है
कितनी सीट जीत कर संसद में सरकार बनती है
मुझे सही सही कुछ भी नहीं पता
कॉलेज के इम्तिहान भी मैंने आखिरी रात
रट्टे मार कर, फर्रे बना कर pass किये थे
और तब से किसी किताब को छुआ तक नहीं है

अब मेरी रूह किसी बात से नहीं कांपती
अब क़त्ल और बलात्कार की क्राइम रिपोर्ट
मनोरंजन बन गयी हैं
बात करने को 
महँगाई बहुत बढ़ गयी है
हर तरफ भ्रष्टाचार है
सब समस्यायों के लिए गन्दी राजनीति
और असाक्षरता जिम्मेदार हैं 
मेरा बस इतना सा घिसा-पिटा विचार है

अभी मैं यह सब सर्कस देख पा रहा हूँ
खुद का कोई विचार नहीं है, पर सोचने की हालत में हूँ
लेकिन अभी फिर से मुझे इंजेक्शन दिया जाएगा
और मुझे सम्मोहित कर
मेरे देश, धर्म, जाति, राज्य के आधार पर
इन सब लोगों द्वारा मुझे मेरे अनुकूल
उपरोक्त विचार दिया जाएगा
और विश्वास कराया जाएगा 
कि यह सब मेरी खुद की सोच है
मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं किये
यह सब मेरे जीवन का अनुभव है
मैंने भी अपने ज़माने में बहुत कुछ पढ़ा है
मैंने भी ज़िन्दगी में जाने क्या क्या देखा है
फिर से मैं उस वृत में क़ैद हो जाऊंगा
फिर से उसकी परिधि मेरी और खिसकती हुई आएगी
मेरा गला घोंटती जाएगी 
एक anaesthesia के साथ
मेरे दिमाग में खून जाना बंद हो जाएगा
मेरे दिल की एक नस काट दी जाएगी
मेरी सोच मर जाएगी, भावना तड़प जाएगी
मैं इन कारतूसों को, इन अफवाहों को नहीं देख पाऊँगा
मैं वो देखूंगा जो मुझे दिखाया जाएगा
और साथ ही समझाया जाएगा
कि मैं आम आदमी आज़ाद हूँ
मेरी एक अपनी सोच है
मेरा अपना एक व्यक्तित्व है
और मुझे पूर्णतया यक़ीन हो जाएगा इस बात पर
कि मैं एक बिना धुरी का अति सूक्ष्म बिन्दु
मैं इस वृत रुपी समाज का केंद्र हूँ
मैं इस गोल दुनिया का केंद्र हूँ
बाज़ार का, बॉक्स ऑफिस का, प्रजातंत्र का, ज़िन्दगी का,
सबका राजा हूँ
मेरा अपना खुद का एक taste है

ओह! नींद आने लगी है

कोहरा छाने लगा है.....…