Monday, July 7, 2025

मैंने एक मेज़ बनाई है

जिन्हें ज़मीन पर बैठने को 
मजबूर किया गया 
उन दलितों के लिए 
मैंने एक मेज़ बनाई है 

वे जो खाना परोसती रहीं, 
किचन से डाइनिंग टेबल के 
काटती रही चक्कर, 
और आखिर में अकेले खाया 
किसी कोने में बैठकर, 
उन औरतों के लिए 
मैंने एक मेज़ बनाई है 

होते रहे हैं समझौते 
मेज़ के नीचे से 
नेता और सेठ लोगों के बीच 
जंगल कटे, पहाड़ कटे, 
लूटे गए कोयला और खनिज 
आम लोगों को मिला भाषण,
मुफ्त राशन और सर्कस 
अब उनके अधिकारों की 
बात करने के लिए 
मैंने एक मेज़ बनाई है 

ऐसा होता है, वैसा नहीं होता 
इस शोर में दब गए 
जो अलग विचार, नई सोच 
उन पर चर्चा करने को  
मैंने एक मेज़ बनाई है