Tuesday, October 19, 2010

जाने भी दो यार (ग़ज़ल)


बुझे हुए खुर्शीदों की बात रहने दो
कुछ देर और अभी रात रहने दो
(खुर्शीद - सूरज)

जाना है तो चले जाना कल हमें छोड़कर
एक दिन तो और अभी साथ रहने दो

शबे-बादा है आज पीकर झूमेंगे रिन्दा
बयानी-ए-दर्दे-दिलो-जज़्बात रहने दो
(शबे-बादा - शराब पीने की रात; रिन्दा - शराबी; बयानी - बताना)

गुज़र गई उम्र  और कुछ ना पाया
कुछ दिन और अभी ए हयात रहने दो
(हयात - ज़िन्दगी)

मैं जितना चला, उफक उतना ही दूर गया 
अब क्या जीत और क्या मात रहने दो
(उफक - horizon)

मस्जिद में पिला देगा ज़ाहिद को पैमाना
गुलफाम को क़ाफिरों में शामिलात रहने दो
(ज़ाहिद - religious teacher; क़ाफ़िर - athiest)










1 comment:

  1. Amazing one... U r for sure growing...
    Should it be "maat" or "haar" in the 3rd last sentence..
    Beautiful composition..

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