मैं उड़ता रहता था
बादलों में खिलखिलाते हुए
मेरे पंख कतर दिए गए
कहा गया कि
ज़्यादा हवा में न उड़ा करो
ज़मीन पर रहा करो
ज़मीनी वास्तविकता ढूँढ़ते हुए
खुद को पाया मैंने
गहराइयों में डूबते हुए
उन्होंने कहा
हर वक़्त क्या सोचते हो
बेवजह उदास रहते हो
फिर मैं ज़मीन पर रेंगने लगा
व्यवहारिकता सीखता गया
आखिरकार एक दिन
मेरे दिल और दिमाग को
लकवा मार गया
अब मैं एक जगह पर
जम गया हूँ
अब पापा भी खुश हैं मुझसे
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