Sunday, May 13, 2012

एक मरहूम कलाकार की तलाश में




(Dedicated to Mirza Ghalib, Begum Akhtar, Pt. Lakhmichand and Mohan Rakesh)


















यूँ तो मुझे पता था  
कि तुम मर चुके हो
फिर जब किसी ने बयाँ किया
कि मरहूम# हो कर भी                              # deceased
तुम रुखसत# नहीं हुए                              # departed
तो मैं उसकी बातों में आ कर
तुम्हें ढूँढने निकल पड़ा

पहले वहाँ गया
जहाँ तुम्हें दफनाया गया था
ज़मीन के दस फ़ुट नीचे
तुम्हारी लाश सड़-गल चुकी थी
कत्बाः-ए-क़ब्र#                                       # epitaph
पान  की पीक से बदरंग था
तुम्हारे बुत पर
कबूतरों ने बीट की हुई थी
कब्र पर नज्र गुल-ए-अफ्शां#                   # scattered flowers
मुरझा गए थे
नज़दीक ही एक कुत्ता घूम रहा था
मैं चाह कर भी
वहाँ फातेहा कैसे पढता

मैं तुम्हारे घर गया
दीवारों को इस उम्मीद से छुआ
कि कभी
अपनी आशुफ्ता-मिजाज़ी# में तुम             # confusion, rumination
दीवार से सर लगा कर
वहाँ हथेलियों के सहारे झुके होगे
उस सतून# से टेक लगाए हुए                    # pillar
किसी तुर्फा# ख्याल का इब्तिसाम$           # peculiar, weird      $ amusement
तुम्हारे रुख पर छाया होगा
पर मेरे हाथ लगी बस  धूल
चूना और मकड़ी के जाले
आँधियाँ तुम्हारे लम्स# को चुरा ले गयी     # touch
और बारिशों ने मिटा दिए
तुम्हारी उँगलियों के निशाँ
सोचा कि क्या पता अब तक
तुम्हारी दश्त-ए-नवर्दी# गाहे गाहे$            # roam around in wilderness   $ occasionally
तुम्हारी रूह को यहाँ ले आती हो  
मैं आँखें बंद कर वहाँ बैठ गया
तुम्हारी रूह से हमसुखन# होने को             # in conversation
पर एक मक्खी
मेरी नाक पर भिनभिनाने लगी

मैं आरकाइवज़# में गया                            # Archival department
तुम्हारी कलम देखकर इशरत# हुई            # happiness
वहाँ नीलामी चल रही थी
तुम्हारी क़ुरबत# के लिए लोग                   # (to feel) close to you
बड़े बड़े दाम देने को तैयार थे
बताया गया था की
यह है वह जादुई कलम
जिससे कहानी कविताएँ मरक़ूम# हुई        # written, inscribed
ले जाइये, इस कलम को खरीद कर
अपने शोकेस में सजाइए
मैंने उस कलम को हाथ में ले कर देखा
उसकी स्याही सूख चुकी थी
उसका खुरदरा निर्जीव प्लास्टिक
मेरे हाथ पर चुभने लगा
पास में एक पाण्डुलिपि# रखी हुई थी          # manuscript
साल दर साल घिस गए कागज़ पर
धुंधली पड़ती तुम्हारी घिचपिच लिखाई
और स्याही के धब्बे,
साथ ही कागज़ मुचड़ा# हुआ था                 # crumpled
शायद तुमने उस पर
कुछ  आधा अधूरा लिख कर
उसे कूड़ेदान में फेंक दिया होगा
जिस वजह से उस पर लिखे हरफ़
मुश्किल से पढ़ने में आते थे

तुम्हारे सवानेह-निगार# ने बताया            # biographer
कि किस तरह गिरां-बार# थे तुम              # burdened
अपने जीर्ण अस्तित्व से उचाट हो कर
तुमने इबारत# में पनाह$ पाई                  # writing, expression   $ refuge
और तुम्हारी तलाश में मैं फिर से
उसी ठोसता# को कुरेद रहा था                  # physicality, specificity
किसी की बातों में आ कर

मैं वापस घर आ गया
तुम्हारी किताब उठाई
तुम्हें देखा
वर्षों पहले तुम कुर्सी पर बैठे हो
अपने अन्दर एक छटपटाहट लिए हुए
फिर मुझसे कहने लगते हो
मैं सुन रहा हूँ
तुम लिख कर बताते हो
मैं पढ़ रहा हूँ
अपनी तक़लीफ़ ज़ाहिर करते हो
मेरी आहों को तकासुफ़# करते हो            # condense (vapour to liquid)
मुझे राहत होती है
कि कोई है मुझे समझने वाला जो
मेरे दुःख को महसूस कर सकता है
मेरे सवालों को मुखरित# कर के              # to surface
उनके जवाब देते हो
कभी अचानक  किसी सवाल  में
मुझे उलझा देते हो

हमने अरसा-ए-बाहम# को                      # the time lag between us
इख्तेसार# किया है                                 # abridge, transcend a barrier
मैं उस वक़्त भी यहाँ था
तुम इस  वक़्त भी हो वहाँ
बातें तब भी होती थी
अब भी होती हैं
ये गुफ्तगू चलती रहेगी सदा


Thursday, May 10, 2012

छोटू मैगी

बड़े बड़े साहब भी आजकल
क्या कुछ कमाल किए हैं 
नेस्कैफे के 1 रूपये के छोटा पाउच से 
हम हर रोज़ कॉफी पिए हैं
सिर्फ 1 रूपये में नवरत्न  तेल छोटा पैक 
हमारे सर को क्या ठंडक दिए है 
3 रूपये के छोटे गार्निअर सैशे से 
हमारे बाल मुलायम हुए हैं 
सिर्फ पांच रूपये की छोटू मैगी
हम बड़े चाव से खाते हैं 
5 रूपये के छोटे डेरी मिल्क चॉकलेट
छोटू के मन को भाते हैं 
अब उसके लिए हम  मुरमुरे नहीं 
छोटे पैक में चिप्स कुरकुरे लाते हैं 
एअरसैल के पांच रूपये छोटा रीचार्ज से
हम फ़ोन पर खूब बतियाते हैं 
आठ रूपये में छोटा कोक पी कर 
छुटकी छोटू कितना खुश  हो जाते हैं 
ये सब सुविधा और साथ में रोज़गार दिए 
इसलिए हम आप लोगों के गुण  गाते हैं 
मैकडोनाल्डस पर बर्गर बेच कर 
हम 26 रूपये per hour कमाते हैं 
बस छोटी सी एक विनती है हुज़ूर
हमें कुछ और चीज़ें भी चाहिए 
हम भी मनमोहन जी से गुहार करेंगे 
आपको और ज्यादा छूट मिल पाए
एक तो हमारे लिए एक छोटा सिगार 
और 5 ml का छोटा शैमपेन बनाइए
छोटू को मिल पाए दूध का कैल्सियम, इसलिए 
बॉर्नवीटा का छोटा 20 gm पैक निकलवाइए
सैट-वैट परफ्यूम का 5 ml छोटा स्प्रे 
फ्रेश रहने को, जब भी घर से बाहर जाइये 
   रोटी नहीं तो हमको चलेगा साहब
पर हमें ये सब जल्द मुहैया करवाइए